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दिल्ली में सांस लेना फिर हुआ मुश्किल, आपकी गाड़ी पर भी लग सकता है प्रतिबंध

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News India Live, Digital Desk: दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में रहने वालों के लिए एक बार फिर से हवा में ज़हर घुल गया है. ठंड की शुरुआत के साथ ही, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) "बहुत खराब" यानी 'वेरी पुअर' श्रेणी में पहुंच गया है, जिसके बाद सरकार को कड़े कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा है. आम लोगों के लिए इसका सीधा मतलब है कि अब कुछ पाबंदियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.क्या है GRAP-2 और इसका आप पर क्या असर होगा?बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए, दिल्ली-एनसीआर में तुरंत प्रभाव से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान का दूसरा चरण (GRAP-2) लागू कर दिया गया है. इसके तहत कई तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं ताकि हवा को और ख़राब होने से रोका जा सके.सबसे बड़ा सवाल: क्या आपकी गाड़ी पर लगेगा बैन?GRAP-2 लागू होने के बाद अब इस बात का खतरा बढ़ गया है कि दिल्ली की सड़कों पर बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीज़ल वाली निजी गाड़ियों को चलाने पर रोक लगाई जा सकती है. हालांकि, अभी यह आदेश जारी नहीं हुआ है, लेकिन अगर हवा की गुणवत्ता और बिगड़ती है, तो सरकार यह बड़ा फैसला ले सकती है. इसका मतलब है कि अगर आपके पास पुरानी पेट्रोल या डीज़ल कार है, तो हो सकता है कि आप उसे कुछ दिनों के लिए सड़क पर न निकाल पाएं.प्रदूषण से लड़ने के लिए अब आसमान से कराई जाएगी बारिश?जब ज़मीनी स्तर पर किए गए उपाय नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं, तो सरकार अब 'क्लाउड सीडिंग' यानी कृत्रिम बारिश कराने की संभावना पर भी विचार कर रही है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें विमानों के ज़रिए बादलों पर कुछ रसायनों का छिड़काव किया जाता है ताकि वे बारिश कर दें. बारिश होने से हवा में घुले प्रदूषक कण ज़मीन पर आ जाते हैं और हवा कुछ समय के लिए साफ़ हो जाती है. हालांकि, यह एक महंगा और जटिल उपाय है, लेकिन दिल्ली सरकार इसे एक विकल्प के तौर पर देख रही है.फिलहाल क्या पाबंदियां लागू हैं?होटल, रेस्तरां और ढाबों में कोयले और तंदूर का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है.ज़रूरी सेवाओं को छोड़कर डीज़ल जेनरेटर चलाने पर पाबंदी है.सड़कों की मैकेनाइज्ड यानी मशीनों से सफाई और पानी का छिड़काव बढ़ाया जा रहा है.पार्किंग फीस बढ़ाई जा सकती है ताकि लोग अपनी गाड़ियों का कम इस्तेमाल करें.साफ़ है कि आने वाले दिन दिल्ली-एनसीआर के लोगों के लिए मुश्किल भरे हो सकते हैं. सरकार अपनी तरफ से कोशिशें कर रही है, लेकिन जब तक प्रदूषण के मूल कारणों, जैसे पराली जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन, पर स्थायी रोक नहीं लगती, तब तक हर साल दिल्ली वालों को ऐसी ही पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा.
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