नई दिल्ली। भारत की निमिषा प्रिया इस वक्त चर्चा में हैं। उनको यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है। यमन के राष्ट्रपति ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा पर अंतिम मुहर लगा दी है। यमन में भारतीय दूतावास के अधिकारी कोशिश कर रहे हैं कि निमिषा प्रिया को फांसी की सजा न हो। अगर उनकी कोशिश कामयाब रही, तो निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को फांसी नहीं दी जाएगी। यमन में फांसी की सजा पाने वाली निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ की मूल निवासी हैं। वो साल 2011 में यमन गई थीं। उनका इरादा वहां लोगों की भलाई का था, लेकिन ऐसा कुछ हुआ कि निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुना दी।
निमिषा प्रिया के माता-पिता मजदूर थे। उन्होंने निमिषा प्रिया को नर्सिंग की ट्रेनिंग कराई। इसके बाद निमिषा प्रिया यमन गईं और नर्स का काम करने लगीं। उनके पति और छोटी बेटी भी साथ यमन गए थे, लेकिन वे आर्थिक तंगी की वजह से साल 2014 में भारत लौट आए। साल 2015 में निमिषा प्रिया ने यमन की राजधानी सना में क्लीनिक खोली। स्थानीय व्यक्ति तलाल अब्दु महदी ने उनकी मदद की। निमिषा के खिलाफ जब कोर्ट में केस चला, तो वहां गवाहों ने बताया कि तलाल अब्दु महदी ने उनको खूब प्रताड़ित किया। उसने खुद को निमिषा का पति बता दिया। फिर धमकी देकर निमिषा प्रिया से खूब पैसे लिए। साथ ही तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट भी अपने पास रख लिया।
प्रताड़ना से परेशान होकर निमिषा प्रिया ने यमन से भागने का मन बनाया, लेकिन उनका पासपोर्ट तलाल के पास था। निमिषा ने इस पर तलाल को बेहोश कर पासपोर्ट हासिल करने का फैसला किया। निमिषा ने तलाल अब्दु महदी को नशे की दवा दी। इस दवा का शायद ओवरडोज हो गया और तलाल की जान चली गई। इसके बाद निमिषा को यमन पुलिस ने गिरफ्तार कर तलाल की हत्या का आरोप लगाया। साल 2018 में यमन के कोर्ट ने निमिषा प्रिया को मौत की सजा सुनाई थी। यमन में भारतीय दूतावास के अफसर इस कोशिश में जुटे हैं कि निमिषा की मौत की सजा या तो कम हो जाए या उनको माफ कर दिया जाए। यमन के राष्ट्रपति के पास निमिषा प्रिया की सजा कम करने या माफ करने का अधिकार है। हालांकि, निमिषा की फांसी में सिर्फ 7 दिन बचे हैं।
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