ज्योतिष: भगवान शिव को संहार के देवता के रूप में जाना जाता है और इन्हें सनातन धर्म के प्रमुख पंच देवों में से एक माना जाता है। त्रिदेवों में भी इनका स्थान महत्वपूर्ण है। सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है, और वे अपने भक्तों पर दया दिखाते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं।
शास्त्रों में भगवान शिव की सौम्यता और उग्रता दोनों का वर्णन मिलता है। उनका भोलेनाथ स्वरूप भक्तों की श्रद्धा से प्रसन्न होकर उन्हें मनोकामनाएं प्रदान करता है, जबकि उनका काल भैरव रूप दुष्टों का संहार करता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार, हिन्दू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा का विशेष महत्व है। शिव शंकर या महादेव को संहार के देवता माना जाता है, और उनका अंश हर प्राणी में विद्यमान है।
भगवान शिव ने विभिन्न मानव अवतारों में धरती पर जन्म लिया है। देवी गौरी, जो भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं, संसार के हर कण में विद्यमान हैं। जब भी धर्म का नाश होता है, वह अवतार लेती हैं।
गौरी शंकर की पूजा से व्यक्ति के जीवन से डर और अवसाद दूर होते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को कार्य करने की शक्ति मिलती है, जिससे वह अपने कार्यों में सफल होता है।
एक सुखद जीवन के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति का मन प्रसन्न रहे। नकारात्मक विचारों से घिरा व्यक्ति सुख-सुविधाओं के बावजूद खुश नहीं रह सकता।
गौरी शंकर की सच्चे मन से की गई उपासना कभी व्यर्थ नहीं जाती। वे भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं और उनके दुःख-दर्द को दूर करते हैं।
भगवान शिव के 108 नाम: भक्त इन्हें विभिन्न नामों से पुकारते हैं, जैसे शंकर, भोलेनाथ, महादेव आदि। इनके 108 नाम हैं, जिनका जिक्र करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं।
1. शिव: कल्याण स्वरूप
2. महेश्वर: माया के अधीश्वर
3. शम्भू: आनंद स्वरूप वाले
4. पिनाकी: पिनाक धनुष धारण करने वाले
5. शशिशेखर: चंद्रमा धारण करने वाले
6. वामदेव: अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7. विरुपाक्ष: अजीब या तीन आँखों के साथ
8. कपर्दी: जटा धारण करने वाले
9. नीललोहित: नीले और लाल रंग वाले
10. शंकर: सबका कल्याण करने वाले
11. शूलपाणी: हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12. खटवांगी: खटिया का एक पाया रखने वाले
13. विष्णुवल्लभ: भगवान विष्णु के अति प्रिय
14. शिपिविष्ट: सितुहा में प्रवेश करने वाले
15. अंबिकानाथ: देवी भगवती के पति
16. श्रीकांठा: सुंदर गर्दन
17. भक्तवत्सल: भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18. भव: संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19. शर्व: कष्टों को नष्ट करने वाले
20. त्रिलोकेश: तीनों लोकों के स्वामी
21. शिटिकांठा: सफेद गर्दन के साथ
22. शिवाप्रिय: पार्वती के प्रिय
23. उग्र: अत्यंत उग्र रूप वाले
24. कपाली: कपाल धारण करने वाले
25. कामारी: कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26. सुरसूदन: अंधक दैत्य को मारने वाले
27. गंगाधर: गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
28. ललाटाक्ष: माथे पर आंख धारण किए हुए
29. महाकाल: कालों के भी काल
30. कृपानिधि: करुणा की खान
31. भीम: भयंकर या रुद्र रूप वाले
32. परशुहस्त: हाथ में फरसा धारण करने वाले
33. मृगपाणी: हाथ में हिरण धारण करने वाले
34. जटाधर: जटा रखने वाले
35. कैलाशवासी: कैलाश पर निवास करने वाले
36. कवची: कवच धारण करने वाले
37. कठोर: अत्यंत मजबूत देह वाले
38. त्रिपुरांतक: त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
39. वृषांक: बैल-चिह्न की ध्वजा वाले
40. वृषभारूढ़: बैल पर सवार होने वाले
41. भस्मोदुलितविग्राह: राख करना
42. सामप्रिय: सामगान से प्रेम करने वाले
43. स्वरमयी: सातों स्वरों में निवास करने वाले
44. त्रेमूर्ति: वेद रूपी विग्राहा कार्ने वेले
45. अनीश्वर: जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46. सर्वज्ञ: सब कुछ जानने वाले
47. परमात्मा: सब आत्माओं में सर्वोच्च
48. सोमासुरग्निलोचन: चंद्रमा, सूर्य और आग के साथ आँखें।
49. हवि: आहुति रूपी द्रव्य वाले
50. यजनामया: बलिदान के रूप में
51. सोम: उमा के सहित रूप वाले
52. पंचवक्त्र: पांच मुख वाले
53. सदाशिव: नित्य कल्याण रूप वाले
54. विश्वेश्वर: विश्व के ईश्वर
55. वीरभद्र: वीर तथा शांत स्वरूप वाले
56. गणनाथ: गणों के स्वामी
57. प्रजापति: प्रजा का पालन- पोषण करने वाले
58. हिरण्यरेता: स्वर्ण तेज वाले
59. दुर्धुर्ष: किसी से न हारने वाले
60. गिरीश: पर्वतों के स्वामी
61. गिरिश्वर: कैलाश पर्वत पर रहने वाले
62. निर्दोष: पाप रहित या पवित्र आत्मा
63. भुजंगभूषण: सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
64. भर्ग: पापों का नाश करने वाले
65. गिरिधन्वा: मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66. गिरिप्रिय: पर्वत को प्रेम करने वाले
67. कृत्तिवासा: गजचर्म पहनने वाले
68. पुराराति: पुरों का नाश करने वाले
69. भगवान: सभी शक्तिशाली धन के साथ संपन्न
70. मृत्युंजय: मृत्यु को जीतने वाले
71. सूक्ष्मतनु: सूक्ष्म शरीर वाले
72. जगद्व्यापी: जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
73. जगद्गुरू: जगत के गुरु
74. व्योमकेश: आकाश रूपी बाल वाले
75. महासेनजनक: कार्तिकेय के पिता
76. चारुविक्रम: सुन्दर पराक्रम वाले
77. रूद्र: उग्र रूप वाले
78. भूतपति: भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
79. Sthaanu: कंपन के बिना कंपन के साथ
80. अकीरबुधना: कुंडलिनी- धारक
81. दिगम्बर: नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
82. अष्टमूर्ति: आठ रूप वाले
83. अनेकात्मा: अनेक आत्मा वाले
84. सात्त्विक: सत्व गुण वाले
85. SHUDDHVIGRAHA: DIVYAMURTI WALE
86. शाश्वत: नित्य रहने वाले
87. खण्डपरशु: टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
88. अज: जन्म रहित
89. पाशविमोचन: बंधन से छुड़ाने वाले
90. MRID: खुशी
91. पशुपति: पशुओं के स्वामी
92. देव: स्वयं प्रकाश रूप
93. महादेव: देवों के देव
94. अव्यय: खर्च होने पर भी न घटने वाले
95. हरि: विष्णु समरूपी
96. पूषदन्तभित्: पूषा के दांत उखाड़ने वाले
97. अव्यग्र: व्यथित न होने वाले
98. दरशधवाराहारा: दक्शा के बलिदान का विनाश
99. हर: पापों को हरने वाले
100. भगनेत्रभिद्: भग देवता की आंख फोड़ने वाले
101. अव्यक्त: इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
102. सह-क्रूस: अनंत अंख वाल्ले
103. सहस्रपाद: अनंत पैर वाले
104. अपवर्गप्रद: मोक्ष देने वाले
105. अनंत: देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
106. तारक: तारने वाले
107. परमेश्वर: प्रथम ईश्वर
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