शिमला, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में वन भूमि पर अवैध रूप से लगाए गए सैकड़ों सेब के पेड़ों पर सोमवार को तीसरे दिन सोमवार को भी वन विभाग का आरा चला। शिमला जिले के कोटखाई के चैथला गांव में हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में वन विभाग की टीम ने पुलिस सुरक्षा के बीच बड़ी संख्या में फलदार पेड़ों को काटा। रविवार को 1,100 सेब से लदे पेड़ काटे गए थे जबकि शनिवार को पहले दिन 100 पेड़ कोटखाई के चैथला और 320 पेड़ कुमारसैन के सराहन गांव में काटे गए थे। जानकारी के अनुसार अभी करीब 3,800 और पेड़ काटे जाने हैं।
यह कार्रवाई हिमाचल उच्च न्यायालय के उस आदेश के बाद हो रही है जिसमें वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने को कहा गया है। दरअसल वर्षों से स्थानीय बागवानों ने सरकारी वन भूमि पर अतिक्रमण कर सेब, नाशपाती, प्लम और आड़ू जैसे फलदार पेड़ उगा रखे थे। अब कोर्ट के आदेश के बाद वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमें यह अतिक्रमण हटाने के लिए पेड़ काट रही हैं। इस दौरान अब तक कब्जाधारकों की ओर से कोई विरोध नहीं हुआ जिससे कार्रवाई शांतिपूर्ण तरीके से चल रही है।
कोटखाई के एसडीएम मोहन शर्मा ने बताया कि कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन हो रहा है। वहीं जिला दंडाधिकारी शिमला अनुपम कश्यप ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 के तहत आदेश जारी कर कोटखाई के चैथला गांव की सीमाओं में आगामी 18 जुलाई तक सभी तरह के लाइसेंसी और गैर-लाइसेंसी हथियार रखने और ले जाने पर पाबंदी भी लगाई है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
वन विभाग की इस कार्रवाई से बागवानों में नाराजगी है। हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ और किसान सभा ने इसे अवैज्ञानिक और अमानवीय बताते हुए हाईकोर्ट से अपने आदेश पर पुनर्विचार की मांग की है। सोमवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में किसान नेता राकेश सिंघा ने कहा कि भारी बारिश के बीच पेड़ काटने का फैसला त्रासदी को न्योता देने जैसा है। सरकार ने धर्मशाला विधानसभा सत्र में भूमिहीनों को 10 बीघा जमीन देने का बिल तो पास किया लेकिन कोर्ट में सही पक्ष नहीं रखा, जिससे किसानों को उजाड़ने की नौबत आ गई है।
सेब उत्पादक संघ ने चेतावनी दी है कि वे इस पेड़ कटान को स्वीकार नहीं करेंगे और इसके खिलाफ बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे। मंगलवार को हाटकोटी में आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
यह पहली बार नहीं है जब शिमला में इतने बड़े पैमाने पर कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी वन भूमि पर अवैध कब्जे हटाने के लिए फलदार पेड़ काटने की कार्रवाई हो रही है। इससे पहले वर्ष 2015 में भी शिमला जिला के ऊपरी इलाकों में वन विभाग ने कोर्ट के फरमान पर सेब सहित कई फलदार पेड़ों को काटा था।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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