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पहलगाम हमले में शामिल मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के तीन विदेशी आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे

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श्रीनगर, 4 अगस्त (Udaipur Kiran) । सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी दस्तावेज़ों और बायोमेट्रिक डेटा सहित कई सबूत इकट्ठा किए हैं जिनसे पुष्टि होती है कि घातक पहलगाम हमले में शामिल तीन मारे गए विदेशी आतंकवादी पाकिस्तानी नागरिक थे। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ आतंकवादियों के रूप में पहचाने गए ये आतंकवादी 28 जुलाई को श्रीनगर के बाहरी इलाके दाचीगाम के जंगल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए थे। इस ऑपरेशन का कोडनेम महादेव था। मारे गए आतंकवादी 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में हुए हमले के बाद से दाचीगाम-हरवान वन क्षेत्र में छिपे हुए थे जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। अधिकारियों ने बताया कि एकत्र किए गए सबूतों से पता चलता है कि इन आतंकवादियों में कोई स्थानीय व्यक्ति नहीं था।

अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण के बायोमेट्रिक रिकॉर्ड, मतदाता पहचान पत्र और डिजिटल सैटेलाइट फ़ोन डेटा जिसमें लॉग और जीपीएस वेपॉइंट शामिल हैं, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा एकत्र किए गए निर्णायक सबूतों में से हैं जो तीनों आतंकवादियों की पाकिस्तानी राष्ट्रीयता की पुष्टि करते हैं।

उन्होंने कहा कि मुठभेड़ के बाद की जाँच जिसमें बैलिस्टिक हथियार-से-कारतूस का मिलान और हिरासत में लिए गए दो कश्मीरी मददगारों के बयान शामिल हैं ने पहलगाम हमले में आतंकवादियों की संलिप्तता की पुष्टि की।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पहली बार हमारे पास सरकार द्वारा जारी पाकिस्तानी दस्तावेज़ हैं जो पहलगाम हमलावरों की राष्ट्रीयता को संदेह से परे साबित करते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन महादेव के दौरान और उसके बाद एकत्र किए गए फोरेंसिक दस्तावेजी और साक्ष्यों से यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि तीनों हमलावर पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ सदस्य थे जो हमले के दिन से ही दाचीगाम-हरवान वन क्षेत्र में छिपे हुए थे। उन्होंने यह भी बताया कि गोलीबारी करने वाली टीम में कोई भी कश्मीरी शामिल नहीं था।

मारे गए आतंकवादियों की पहचान ए प्लस प्लस श्रेणी के आतंकवादी, मास्टरमाइंड और मुख्य शूटर सुलेमान शाह उर्फ फैजल जट्ट के रूप में हुई है। अधिकारियों ने बताया कि उसका करीबी सहयोगी अबू हमजा उर्फ अफगान जो ए-ग्रेड कमांडर और दूसरा बंदूकधारी था और यासिर उर्फ जिब्रान जो भी ए-ग्रेड कमांडर और तीसरा बंदूकधारी था।

उन्होंने बताया कि हथियारों के साथ-साथ सुरक्षा बलों ने शाह और हमजा की जेबों से पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी दस्तावेज जैसे कि पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो लेमिनेटेड मतदाता पर्चियां बरामद कीं।

अधिकारियों ने कहा कि एनएडीआरए से जुड़े स्मार्ट-आईडी चिप्स एक क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से बरामद एक माइक्रो-एसडी में तीनों व्यक्तियों के एनएडीआरए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड (उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने, वंशावली) थे जो उनकी पाकिस्तानी नागरिकता और चांगा मंगा (कसूर जिला) और रावलकोट, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के पास कोइयाँ गाँव में उनके पते की पुष्टि करते हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मई 2022 में जब खुफिया सूचनाओं में पाकिस्तान की ओर से उनके रेडियो चेक-इन की जानकारी मिली तो आतंकवादी उत्तरी कश्मीर के गुरेज सेक्टर से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर आए थे।

21 अप्रैल को वह बैसरन से 2 किलोमीटर दूर हिल पार्क में एक ढोक (मौसमी झोपड़ी) में रहने लगे जैसा कि हिरासत में लिए गए दो मददगारों परवेज और बशीर अहमद जोथर ने बताया। उन्होंने उन्हें रात भर पनाह दी और अगले दिन हमला करने के लिए बैसरन जाने से पहले उन्हें पका हुआ खाना दिया।

अधिकारियों ने बताया कि शाह के गार्मिन डिवाइस से बरामद जीपीएस वेपॉइंट प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा बताई गई गोलीबारी की सटीक स्थिति से मेल खाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हमले के बाद वह दाचीगाम की ओर भाग गए थे।

उन्होंने बताया कि लश्कर-ए-तैयबा के रावलकोट प्रमुख रिज़वान अनीस ने 29 जुलाई को मारे गए हमलावरों के परिवारों से ग़ैबाना नमाज़-ए-जनाज़ा (अनुपस्थिति में जनाज़ा) आयोजित करने के लिए भी मुलाकात की और इसकी फुटेज अब भारतीय दस्तावेज़ का हिस्सा है।

(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह

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