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ट्रेन में बच्चे को जन्म देने वाली नाबालिग मां अपने पिता की हवस का हुई थी शिकार

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मुरादाबाद, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । पंद्रह दिन पहले चंडीगढ़ समर स्पेशल ट्रेन में बरेली-मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के बीच बैग में बंद मिले नवजात को जिस मां ने उसे जन्म दिया, वह खुद अभी नाबालिग है। जिसने उस नाबालिग को मां बनाया वह उसका सगा पिता है। अपने पिता की हवस का शिकार होने के बाद गर्भवती हुई किशोरी को डिलीवरी के लिए दिल्ली ले जा रहा था। लेकिन वाराणसी पहुंचते ही ट्रेन के शौचालय में प्रसव हो गया था। मुरादाबाद में ट्रेन पहुंचने पर नवजात बच्चे को उसी रात अस्पताल में भर्ती कराने के बाद पुलिस ने अज्ञात माता-पिता की तलाश शुरू कर दी थी। जिस बैग में बच्चा मिला था उसमें सिम कार्ड मिला था। उसी सिम कार्ड के आधार पर बच्चे की मां का पता चला। रेलवे पुलिस के अनुसार आरोपी पिता की तलाश जारी है।

बीती 22 जून को पटना से चली चंडीगढ़ समर स्पेशल ट्रेन जब बरेली-मुरादाबाद रेलवे स्टेशन के बीच पहुंची तो जनरल कोच में एक नीले रंग का बैग मिला था, जिसमें एक दिन का नवजात शिशु था। सूचना पर मुरादाबाद रेलवे स्टेशन पर जीआरपी, आरपीएफ और चाइल्ड लाइन की टीम एक्टिव हो गई। नवजात की हालत देखते हुए उसे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है। डॉ इरम व डॉ निर्मला पाठक ने बताया था कि यह बच्चा काफी देर तक बैग में बंद था इसलिए इसका आक्सीजन लेबल बहुत कम हो गया था। 10 दिन के उपचार के बाद शिशु की हालत में काफी सुधार है, लेकिन अभी भी यह बच्चा एसएनसीयू वार्ड में एडमिट है। पहले बच्चे को बीच-बीच में आक्सीजन दी जा रही थी है और थोड़ा-थोड़ा दूध भी दिया जा रहा था। अब आक्सीजन पूरी तरह से हटा ली गई हैं और नवजात को ओरल फीड भी कराई जा रही है। दिन प्रतिदिन बच्चे की हालत में सुधार हो रहा है।

बिहार के छपरा जिले का निवासी, पेशे से दिहाड़ी मजदूर यह व्यक्ति अपनी बेटी को शारीरिक शोषण का शिकार बनाता रहा। जांच में पुष्टि हुई कि किशोरी गर्भवती हो गई थी। बैग में मिले एक सिमकार्ड से पुलिस को अहम सुराग मिला था। सिम की लोकेशन और कांटेक्ट डिटेल से छपरा के जिस गांव तक पुलिस पहुँची, वहीं से पूरे मामले की पुष्टि हुई। सिमकार्ड नवजात की मां के जीजा के नाम था।

वाराणसी पहुंचते ही ट्रेन के शौचालय में प्रसव हो गया था

परिजन ने गर्भवती नाबालिग को दिल्ली ले जाकर प्रसव कराने की योजना बनाई थी। लेकिन वाराणसी पहुंचते ही ट्रेन के शौचालय में प्रसव हो गया। इसके बाद नाबालिग मां और उसका पिता नवजात को बैग में बंद कर समर स्पेशल ट्रेन में छोड़कर भाग निकले। नवजात काे रेलवे स्टाफ के माध्यम से चाइल्डलाइन और फिर अस्पताल पहुंचाई गई।

मां ने लिखित में समिति को दिया कि वह बच्चे को स्वीकार नहीं कर सकती

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अमित कौशल ने बताया कि नवजात की मां ने लिखित में समिति को दिया है कि वह बच्ची को स्वीकार नहीं कर सकती। वह इस औलाद को नहीं रख सकती। वह उसे किसी और के नाम पर छोड़ रही है। समिति के अनुसार अब अगले दो महीने तक बच्ची का स्वास्थ्य मूल्यांकन और निगरानी चलेगी। फिर उसे लीगल फ्री घोषित किया जाएगा। इसके बाद उसका विवरण वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। फिर गोद लेने की प्रक्रिया शुरू होगी।

(Udaipur Kiran) / निमित कुमार जायसवाल

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