हरिद्वार, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Indian प्राच विद्या सोसायटी कनखल के ज्योतिषाचार्य डॉ प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि कभी-कभी त्यौहार आगे पीछे हो जाते हैं. यही खूबसूरती Indian त्यौहारों की है.
पिछली बार की तरह इस बार भी दीवाली को लेकर विद्वानों में मत भिन्नता है कि दीवाली 20 को मनायी जाए या 21 अक्टूबर को. करीब 62 वर्षों में ये परिस्थिति आती है. जब दीवाली त्यौहार में तिथि की वजह से मत अलग-अलग होते है. 1962, 1963 में ऐसा हीं हुआ था. 1963में तो दीवाली 17 अक्टूबर की थी, परन्तु भाई दूज एक महीने के बाद मनाई गई थी, क्योंकि बीच में अधिक मास आ गया था. इसी प्रकार से 1900 में दीवाली 23 अक्टूबर को थी. 1901 में 11 नवंबर को दीवाली थी. यही 29 अक्टूबर 1837 में भी हुआ था.
इन सभी दिनों में दीवाली के दिन रात्रि में अमावस नही थीं. 11 नवंबर को तो अमावस 13. 04 पर हीं समाप्त हो गई थीं, परन्तु फिर भी उसी दिन दीवाली मनाई गयी, क्योंकि एक सूत्र है कि प्रतिपदा का मान जब भी अमावस से और चतुर्दशी से ज्यादा होगा तो प्रतिपदा से युक्त दीवाली होंगी.
डॉ प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक इस बार भी ऐसा ही है. अमावस का कुल मान 26 घंटे 10 मिनट तक है. प्रतिपद़ा 26 घंटे 20 मिनट तक होंगी. चतुर्दशी 25 घंटे 53 मिनट तक कुल रहेगी. अतः अमावस्या एवं प्रतिपदा युक्त दीवाली मानी जाएगी. इसीलिए 21 अक्टूबर को प्रतिपद युक्त अमावस्या में दीवाली होंगी, 20 को नहीं. इसके साथ हीं ये भी मान्यता है की जिस तिथि में ब्राह्मण सूर्य को अर्घ्य दें, क्षत्रिय वादी प्रतिवादी का फैसला सुनाए, वैश्य अपना दुकान खोलें, ग्वाला अपनी गायों को लेकर वापस घर पर आए, यदि यह सभी कार्य एक ही तिथि अमावस्या में हो तो उसी दिन दीवाली होती है, तो उसी दिन त्यौहार मनाने का प्रावधान है और ये सभी 21 अक्टूबर को हीं संभव है. इसलिए 21 अक्टूबर को दीवाली मान्य होंगी.
डॉ प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक 11 नवंबर 1901 में तो अमावस्या 13.04 पर हीं समाप्त हो गई थी, फिर भी इस दिन हीं दीवाली मान्य थी. क्योंकि प्रतिपद का मान ज्यादा था. दीवाली पूजा सूर्य अस्त के (17.40) बाद 2 घंटे 24 मिनट तक किया जा सकता है. अतः 8.04 संाय काल तक हम लोग पूजन कर सकते हैं. इसमें भी 1915 से 20-30 तक लाभ की चौघडि़या में लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है, जो कि शुभकारी होगा. परन्तु जो लोग तंत्र पूजा करते हैं. कापालिक हैं, वाम मार्गी हैं वो समस्त तंत्र साधन गुरु कि बताई तिथि में करें. समस्त गृहस्थी 21 अक्टूबर को पूजन करें.
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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