सिलीगुड़ी (West Bengal), 06 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . उत्तर बंगाल के दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश ने तबाही मचा दी है. बीते 12 घंटे में 261 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई, जिसके बाद कई जगहों पर भूस्खलन हुआ है. अब तक कम से कम 20 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई पर्यटक अलग-अलग इलाकों में फंसे हुए हैं. राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया है. Chief Minister ममता बनर्जी आज हालात का जायजा लेने के लिए उत्तर बंगाल जाएंगी.
स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी भीषण स्थिति पिछले 27 सालों में नहीं देखी गई. आखिरी बार ऐसी आपदा वर्ष 1998 में आई थी. मिरिक और सुखियापोखरी इलाके में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. कई घर और सड़कें धंस गईं, जबकि कुछ पुल बह गए. मिरिक इलाके में सबसे अधिक लोगों की मौत हुई है.
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा बल, सेना और स्थानीय पुलिस राहत कार्यों में जुटे हैं. हालांकि, खराब मौसम के कारण कई बार बचाव अभियान बाधित हुआ. दुधिया, डामफेडर और दारागांव जैसे इलाकों में घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं. यहां मौजूद कई होमस्टे और बीएसएफ का एक कैंप भी क्षतिग्रस्त हुआ है.
Chief Minister ममता बनर्जी ने कहा कि वह sunday सुबह से नवान्न स्थित नियंत्रण कक्ष से हालात पर नजर रख रही हैं. उन्होंने बताया, “दुर्घटना किसी के हाथ में नहीं होती. हम दुखी हैं. मैंने उत्तर बंगाल के पांच जिलों के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की है. सुबह से ही हालात की निगरानी कर रही हूं और Monday दोपहर तीन बजे तक उत्तर बंगाल पहुंच जाऊंगी.”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और President द्रौपदी मुर्मु ने आपदा में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है. प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, “दार्जिलिंग और आसपास के इलाकों में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जो स्थिति बनी है, उस पर नजर रखी जा रही है. केंद्र सरकार पीड़ितों की हरसंभव सहायता करेगी.”
पर्यटक फंसे, सड़कें बंदभारी भूस्खलन और पुल टूटने से सिलिगुड़ी, दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और सिक्किम के बीच सड़क संपर्क पूरी तरह ठप है. सिलिगुड़ी से सिक्किम और कलिम्पोंग जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 10 बंद है. कई जगहों से खबर है कि तीस्ता नदी का पानी सड़क पर बह रहा है. वैकल्पिक मार्ग 717 भी बंद है. इसी तरह सिलिगुड़ी से दार्जिलिंग जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 55 और रोहिणी रोड पर भी आवाजाही बंद है. दुधिया पुल टूटने से मिरिक का संपर्क लगभग कट गया है.
हालांकि, कुछ वैकल्पिक रास्ते जैसे पंखाबाड़ी रोड और दार्जिलिंग-मंगपु मार्ग पर आंशिक यातायात चालू है. प्रशासन ने मिरिक में फंसे पर्यटकों को नलपाटोंग-लोहागढ़ मार्ग से सिलिगुड़ी पहुंचाने की व्यवस्था की है. ममता बनर्जी ने फंसे पर्यटकों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और जहां हैं वहीं रहें. उन्होंने कहा, “होटल संचालक किसी भी पर्यटक से अतिरिक्त किराया न वसूलें. यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी को सुरक्षित वापस भेजा जाए.”
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी दार्जिलिंग आपदा पर चिंता जताई और पार्टी कार्यकर्ताओं को पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा, “मां दुर्गा के आशीर्वाद से हम इस संकट से उबरेंगे.” जीटीए प्रमुख और प्रजातांत्रिक मोर्चा नेता अनीत थापा ने बताया कि सिर्फ मिरिक इलाके में ही 15 लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि प्रशासन, इंजीनियर, बीडीओ, एसडीओ और जनप्रतिनिधि सभी राहत कार्यों में लगे हैं. दार्जिलिंग के सांसद राजू बिष्ट ने केंद्र से राज्य को आपदा क्षेत्र घोषित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं को राहत कार्य में जुटने के निर्देश दिए गए हैं और वे लगातार स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में हैं.
कैसे हुई तबाहीSaturday रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने पहाड़ों को हिला दिया. लगातार पानी गिरने से मिट्टी ढीली हुई और कई जगहों पर भूस्खलन हो गया. दुधिया, सौरेनी, डामफेडर और दिलाराम जैसे इलाकों में घर और सड़कें बह गईं. जलस्तर बढ़ने से तिस्ता और दुधिया नदियां उफान पर हैं. प्रशासन ने लोगों से ऊंचे इलाकों में जाने और सतर्क रहने की अपील की है. राहत शिविरों में भोजन और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
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