– सेना पिछले साल 15 मार्च को जोधपुर में बना चुकी है अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की पहली स्क्वाड्रन
नई दिल्ली, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । भारतीय सेना के लिए तीन अपाचे एएच-64ई लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का पहला बैच 22 जुलाई को भारत पहुंचने वाला है। शेष तीन हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति वर्ष के अंत तक होने की उम्मीद है। सेना के लिए छह अपाचे हेलीकॉप्टरों का सौदा लगभग 80 करोड़ डॉलर का था। ये हेलीकॉप्टर उन्नत सुविधाओं से लैस होंगे, जिनमें लॉन्ग रडार, हेलफायर मिसाइलें, हवा से जमीन पर मार करने वाले रॉकेट और अन्य सटीक प्रहार प्रणालियां शामिल हैं। अपाचे हेलीकॉप्टर उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से बख्तरबंद खतरों का मुकाबला करने में प्रभावी होंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की पिछले साल अमेरिकी यात्रा पर सेना को अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति में हो रही देरी का मुद्दा उठाया गया था, लेकिन इसके बावजूद डिलीवरी में करीब 15 माह की देरी हुई है। यूएस निर्मित एएच-64ई हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति में देरी की वजह बोइंग कंपनी की सप्लाई चेन बाधित होना है, जिससे उत्पादन धीमा हो गया है। भारतीय सेना ने अमेरिका से 2020 में छह एएच-64ई अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर हासिल करने के लिए 600 मिलियन डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। समय पर आपूर्ति मिलने की उम्मीद में सेना ने पिछले साल 15 मार्च को जोधपुर में अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की पहली स्क्वाड्रन भी बना ली थी।
दरअसल, अमेरिकी कंपनी बोइंग को ऑर्डर दिए जाने के बाद यूएस डिफेंस प्रायोरिटी एंड एलोकेशन सिस्टम्स प्रोग्राम (डीपीएएस) पर भारत की रेटिंग कम होने से संबंधित कुछ मुद्दे थे, लेकिन अप्रैल-मई में इसे सुलझा लिया गया था। डीपीएएस से संबंधित मुद्दों में इंजन, गियरबॉक्स और हथियारों सहित अपाचे पर लगे 22 महत्वपूर्ण घटक शामिल थे। अमेरिका डीपीएएस का उपयोग सैन्य, मातृभूमि सुरक्षा, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और अन्य आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए आपूर्ति श्रृंखला में रक्षा-संबंधी अनुबंधों को प्राथमिकता देने के लिए करता है। इसका उपयोग विदेशों को सैन्य या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा सहायता प्रदान करने के लिए भी किया जाता है।
सेना के लिए अपाचे को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि दुश्मन की किलेबंदी को भेदकर और उसकी सीमा में घुसकर हमला करने में सक्षम है। पाकिस्तानी सीमा पर पश्चिमी सेक्टर के जोधपुर में वायु सेना की स्वदेशी ‘प्रचंड’ की स्क्वाड्रन और यहीं पर भारतीय सेना की अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की स्क्वाड्रन मिलकर काम करेगी। दोनों स्क्वाड्रन एक ही जगह पर होने से लड़ाकू अमेरिकी ‘अपाचे’ और स्वदेशी ‘प्रचंड’ की जुगल जोड़ी आसमान में नया गुल खिलाएगी। अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर फ्लाइंग रेंज 550 किलोमीटर में 16 एंटी टैंक मिसाइल दागकर उसके परखच्चे उड़ा सकता है। इसे दुश्मन पर बाज की तरह हमला करके सुरक्षित निकल जाने के लिए बनाया गया है। हेलीकॉप्टर के नीचे लगी बंदूकों से 30 एमएम की 1,200 गोलियां एक बार में भरी जा सकती हैं। अपाचे एक बार में 2.45 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
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(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम
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