शिमला, 14 जुलाई (Udaipur Kiran) । पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री शांता कुमार ने एक भावुक बयान में सुप्रीम कोर्ट और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस निर्णय पर सवाल उठाया है जिसमें राज्य की वन भूमि पर अवैध रूप से लगाए गए सेब के बगीचों को काटने के आदेश दिए गए हैं।
शांता कुमार ने साेमवार काे एक बयान में कहा कि हिमाचल के एक गांव में करीब 300 बीघा वन भूमि पर गैरकानूनी कब्जा कर 4000 सेब के पौधे लगाए गए थे। आज वहां लहलहाता बगीचा है और पेड़ों पर लाल-लाल सेब लगे हैं, लेकिन अब अदालती आदेशों के तहत इन्हें काटा जा रहा है।
शांता कुमार ने कहा कि यह देखकर उनका मन अत्यंत दुखी हुआ क्योंकि यह केवल एक गांव की नहीं, पूरे प्रदेश की कहानी है। राज्य भर में लाखों करोड़ों की वन भूमि पर इसी प्रकार के अवैध कब्जे वर्षों से हो रहे हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि यह कब्जा एक दिन में नहीं हुआ। 4000 पौधे लगने और फल आने में सालों लगते हैं। जब शुरुआत में ये गैरकानूनी बगीचा लगाया गया, तब सरकार और उसके कर्मचारी कहां थे? उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब भ्रष्टाचार की वजह से हुआ, जहां कुछ चांदी के सिक्कों ने ईमानदारी को खरीद लिया।
शांता कुमार ने अदालतों से निवेदन करते हुए पूछा कि जब पेड़ काटने का आदेश दिया गया, तो यह आदेश क्यों नहीं दिया गया कि उस समय के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई हो?
उन्होंने कहा कि देशभर में यह एक आम चलन बन गया है अवैध कब्जे, अवैध भवन निर्माण और फिर वर्षों बाद कोर्ट से गिराने के आदेश। लेकिन कभी उन शुरुआती भ्रष्ट कर्मचारियों को नहीं पकड़ा जाता जिन्होंने इन अपराधों की नींव रखी।
उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात पर हैरानी हुई कि देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्थाओं को भी इस मूल अपराध की गंभीरता का संज्ञान नहीं हुआ। उन्होंने न्यायपालिका से अपील की कि ऐसे मामलों में केवल परिणाम नहीं, बल्कि कारणों के मूल में जाकर कार्रवाई की जाए।
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(Udaipur Kiran) शुक्ला
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