अल्मोड़ा, 9 जुलाई (Udaipur Kiran) । उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में तेज हॉर्न और मॉडिफाइड साइलेंसर वाले वाहनों से होने वाला ध्वनि प्रदूषण अब चालकों को भारी पड़ने वाला है। दरअसल अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में परिवहन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाया है।
इसके तहत उच्च गुणवत्ता वाले साउंड लेवल मीटर (एसएलएम) और डेसीबल मीटर जैसे आधुनिक उपकरणों का उपयोग शुरू किया जा रहा है। इनकी मदद से वाहनों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण की सटीक जांच की जाएगी और मानकों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
पहाड़ी क्षेत्रों में शांति और सुकून का पर्याय माने जाने वाले अल्मोड़ा, रानीखेत, और पिथौरागढ़ जैसे शहरों में मॉडिफाइड साइलेंसर और प्रेशर हॉर्न वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि ने स्थानीय लोगों की शांति भंग कर दी है।
खासकर स्कूलों, अस्पतालों, और साइलेंस जोन के आसपास तेज आवाज वाले वाहनों का शोर चिंता का विषय बन गया है। इस समस्या से निपटने के लिए परिवहन विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया है।
विभाग ने अल्मोड़ा, रानीखेत, और पिथौरागढ़ में साउंड लेवल मीटर और डेसीबल मीटर उपलब्ध कराए हैं, जो ध्वनि प्रदूषण को मापने में सक्षम हैं। इन उपकरणों को मदद से उन वाहनों को पहचान की जाएगी, जो तय मानकों से अधिक ध्वनि उत्पन्न करते हैं। विशेष रूप से मॉडिफाइड साइलेंसर, प्रेशर हॉर्न, और एयर हॉर्न जैसे उपकरणों पर नजर रखी जाएगी।
कहां और कैसे होगी जांच
परिवहन विभाग ने इस अभियान को प्रभावी बनाने के लिए शहर के प्रमुख चौराहों, स्कूलों, अस्पतालों, और साइलेंस जोन के आसपास विशेष जांच अभियान चलाने की योजना बनाई है। इन क्षेत्रों में वाहनों के ध्यनि स्तर की जांच को जाएगी, और जो वाहन मानक से अधिक ध्वनि उत्पन्न करेंगे, उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
इस संबंध में अल्मोड़ा संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन अनीता चंद ने कहा कि साउंड लेवल मीटर के लिए प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। जो मानकों के अनुसार वाहनों की जांच करेंगे।
(Udaipur Kiran) / DEEPESH TIWARI
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