समस्तीपुर, 24 जून (Udaipur Kiran) ।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती का 60वां पुण्य स्मृति दिवस आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृष्ण भाई ने कहा कि मातेश्वरी जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और प्रतिभावान थीं। उन्होंने परमात्मा द्वारा दी गई शिक्षा को सुनते ही कर्म में लाया। वे ज्ञान वीणावादिनी, ईश्वरीय ज्ञान, गुण और शक्तियों का स्वरूप व विश्व-कल्याण की मातृवत भावना से ओत-प्रोत रहती थीं। उन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा मानवता की सेवा के पथ को उस समय चुना, जब नारियों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती थी। उन्होंने अपनी त्याग, तपस्या और सेवा से समस्त मानव समुदाय को जीवनमुक्ति की राह दिखाई तथा नारियों को अध्यात्म के पथ पर चलते हुए समाज की सेवा करने के लिए प्रेरणा प्रदान की। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए मातेश्वरी जी का यह त्याग, समर्पण और सेवा समस्त भारत तथा विश्व के लिए अत्यंत गौरव का विषय है।
ब्रह्माकुमारी सविता बहन ने कहा कि मातेश्वरी जी ने अपने मातृत्व और वात्सल्यपूर्ण नेतृत्व कौशल से सभी के दिलों पर राज किया। उनका नियमित और मर्यादापूर्ण जीवन सभी के लिए आज भी आदर्श मिसाल है। उनकी वरदानी दृष्टि से अनेकों की कमी-कमज़ोरियाँ सदा-सदा के लिए समाप्त हो जातीं। उन्होने परमात्मा क़ी मत पर भारत को फिर से स्वर्ग बनाने की दिशा में अपना समय-संकल्प- श्वांस सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सभी सदस्यों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। उन्होंने अपना नश्वर शरीर 24 जून, 1965 को त्यागकर सम्पूर्ण स्थिति को प्राप्त किया। आज उनके पदचिन्हों पर चलकर हज़ारों समर्पित बहनों सहित लाखों भाई-बहन भारत को स्वर्ग बनाने की दिशा में निरंतर कार्यरत हैं।
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(Udaipur Kiran) / त्रिलोकनाथ उपाध्याय
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