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एक साथ 5 नौकरी! इस भारतीय इंजीनियर ने अमेरिका की कंपनियों से रोज़ कमाए ₹2.5 लाख

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डिजिटल युग ने काम करने के तरीकों को पूरी तरह बदल दिया है। अब घर बैठे विदेशी कंपनियों के लिए काम करना न सिर्फ संभव है, बल्कि यह कई लोगों के लिए रोजगार का नया रास्ता बन गया है। लेकिन इस बदलाव ने कुछ ऐसी कहानियां भी सामने लाई हैं, जो हैरान करने के साथ-साथ सवाल भी खड़े करती हैं। ऐसी ही एक कहानी है भारतीय इंजीनियर सोहम पारेख की, जिन्होंने एकसाथ पांच नौकरियां करके न सिर्फ लाखों रुपये कमाए, बल्कि अपने जुगाड़ और चतुराई से पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया। लेकिन क्या यह चतुराई थी या ठगी? आइए, इस कहानी को करीब से जानते हैं।

पांच नौकरियों का खेल

सोहम पारेख ने अमेरिका की पांच अलग-अलग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्ट-अप कंपनियों—Playground AI, DynamoAI, Synthesia, Union AI और Alan AI—में एकसाथ रिमोट इंजीनियर और कंसल्टेंट के तौर पर काम किया। उनकी चालाकी का आलम यह था कि कोई भी कंपनी यह नहीं जान पाई कि वह दूसरी कंपनियों के लिए भी काम कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक, सोहम रोजाना करीब 2.5 लाख रुपये कमा रहे थे, जिसकी सालाना कमाई लगभग 6.85 करोड़ रुपये बताई जा रही है। लेकिन यह सब तब तक छिपा रहा, जब तक सोशल मीडिया पर इस मामले ने तूल नहीं पकड़ा।

सोशल मीडिया पर बवाल

इस पूरे प्रकरण को ‘SohamGate’ का नाम दिया गया। Playground AI के सह-संस्थापक सुहेल दोशी ने सोहम पर गंभीर आरोप लगाए। उनके मुताबिक, सोहम समय पर काम नहीं करते थे और न ही मीटिंग्स में हिस्सा लेते थे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर #SohamGate ट्रेंड करने लगा, जहां उनके चैट्स और नौकरियों के दावे वायरल हो गए। सोहम का एक कथित बयान—“झूठ बोलो, बेईमानी करो और चोरी करो। AI का इस्तेमाल करो। इंटरव्यू को खेल की तरह लो”—सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया। कई लोगों ने इसे उनकी चतुराई माना, तो कुछ ने इसे ठगी का खेल करार दिया।

जुगाड़ और AI का कमाल

सोहम ने इतनी सारी नौकरियां एकसाथ कैसे मैनेज कीं? इसके पीछे उनका जुगाड़ और AI का इस्तेमाल था। वह अपने कंप्यूटर को बंद रखते थे और वर्क कैलेंडर को ब्लॉक कर देते थे। मीटिंग्स में ज्यादातर चुप रहते और केवल जरूरी बातें बोलते। इसके अलावा, वह ‘माउस जगलर’ जैसे टूल का इस्तेमाल करते थे, जो कंप्यूटर को सक्रिय दिखाने के लिए कर्सर को बार-बार हिलाता रहता है। अधिकांश वर्चुअल मीटिंग्स में वह कैमरा बंद रखते थे। उनके रेज्यूमे में दी गई जानकारी का 90% हिस्सा कथित तौर पर फर्जी था, जिसमें मुंबई यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री और जॉर्जिया टेक से मास्टर्स डिग्री का दावा शामिल था।

क्या है इस कहानी का सबक?

सोहम की कहानी ने रिमोट वर्क और AI के इस्तेमाल को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। एक तरफ जहां कुछ लोग उनकी चतुराई की तारीफ कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनियां इस बात से चिंतित हैं कि आखिर कैसे पता लगाया जाए कि उनका कर्मचारी वाकई काम कर रहा है या नहीं। सोहम पर ठगी के आरोप लगे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी उठ रही है। यह मामला रिमोट वर्क की दुनिया में पारदर्शिता और नैतिकता के महत्व को रेखांकित करता है।

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