मार्च 2025 में भारत का व्यापार घाटा तेजी से बढ़कर $21.54 अरब हो गया, जिसका मुख्य कारण कच्चे तेल और सोने के आयात में तेज वृद्धि रहा। जहां निर्यात में मामूली वृद्धि देखी गई, वहीं आयात में आई तेज उछाल ने भारत के कुल आयात बिल को काफी बढ़ा दिया, जिससे हाल के महीनों में यह व्यापार घाटा सबसे अधिक रहा।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, मार्च में भारत का माल निर्यात सालाना आधार पर केवल 0.67% बढ़कर $41.97 अरब रहा। यह हल्की बढ़ोतरी अमेरिका द्वारा संभावित पारस्परिक शुल्क (reciprocal tariffs) लगाए जाने की आशंका के चलते कुछ आपूर्तियों को पहले ही भेज दिए जाने के कारण हुई। हालांकि, इन शुल्कों को फिलहाल अमेरिका ने अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर, आयात में 11% की बड़ी वृद्धि दर्ज की गई और यह $63.51 अरब तक पहुंच गया। इस बढ़ोतरी में कच्चे तेल और सोने के आयात ने बड़ी भूमिका निभाई। अकेले तेल आयात ही मार्च में $19 अरब रहा, जो मई 2024 के बाद सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात में ठहराव
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान कुल माल निर्यात लगभग स्थिर रहा, जो $437.42 अरब रहा, जबकि पिछले वर्ष यह $437.07 अरब था। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और व्यापार नीतियों में सख्ती—विशेष रूप से जनवरी से अमेरिका की ओर से—भारत के निर्यात को प्रभावित करती रही। पूरे वित्त वर्ष में 12 में से 6 महीनों में निर्यात में गिरावट दर्ज की गई।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इसे वैश्विक व्यापार के लिए चुनौतीपूर्ण वर्ष बताया। उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक तनाव, समुद्री मार्गों में बाधाएं और प्रमुख बाजारों में आर्थिक मंदी के कारण निर्यातकों को मुश्किलें झेलनी पड़ीं, हालांकि भारत ने अन्य देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया।
टैरिफ को लेकर अनिश्चितता बरकरार
भविष्य में भी निर्यात की दिशा को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि अमेरिका कुछ अतिरिक्त और सेक्टर-विशिष्ट टैरिफ पर विचार कर रहा है। अभी 90 दिनों के लिए कुछ शुल्कों पर रोक लगाई गई है, लेकिन अमेरिका पहले ही अधिकांश देशों से आने वाले उत्पादों पर 10% का बेस टैरिफ लगा चुका है। वहीं, वेनेजुएला से आने वाले तेल जैसे मामलों में सेक्टोरल टैरिफ भी स्थिति को जटिल बना रहे हैं।
इन चुनौतियों के बावजूद, मार्च में गैर-पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 2.2% बढ़कर $37.07 अरब पहुंच गया, जो भारत के निर्यात आधार में कुछ मजबूती दर्शाता है।
सेवाओं का व्यापार बना सहारा
FY25 में माल और सेवाओं का कुल व्यापार $820 अरब तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष $778 अरब था। इसमें अधिकांश वृद्धि सेवाओं के निर्यात से हुई। मार्च में सेवाओं का निर्यात 5.5% बढ़कर $31.64 अरब रहा, जबकि सेवाओं का आयात 17.3% बढ़कर $13.73 अरब तक पहुंच गया। इससे भारत को $17.88 अरब का सेवा व्यापार अधिशेष मिला। ये आंकड़े फिलहाल अस्थायी हैं और रिजर्व बैंक द्वारा बाद में अद्यतन किए जाएंगे।
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